आचार्य नागार्जुन: बौद्ध दर्शन के महानयक
#नवनालंदामहाविहार में संकाय भवन का नाम महान विद्वान आचार्य नागार्जुन के नाम पर रखा गया है।
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दर्शनिकों की विशेष पहचान होती है उनके विचारों और सिद्धांतों का व्यापक प्रभाव।भारतीय दर्शन के इतिहास में आचार्य #नागार्जुन एक ऐसे महान व्यक्ति थे, जिनके विचार और योगदान ने, न केवल बौद्ध दर्शन को महत्वपूर्ण बनाया, बल्कि विभिन्न दर्शनशास्त्रों पर भी गहरा प्रभाव डाला।उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कशास्त्रीय सिद्धांतों और तत्ववादी विचारों ने आधुनिक दर्शन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आचार्य नागार्जुन का जन्म भारतीय उपमहाद्वीप के मध्य क्षेत्र में स्थित आन्ध्र प्रदेश के युगंधर नामक गांव में हुआ।वे बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय के महान दार्शनिक और तर्कशास्त्री थे। #MAinBuddhistStudies
नागार्जुन का विचारधारा मध्य पथ (माध्यमिक प्रतिपत्ति) पर आधारित था, जिसे उन्होंने महायान बौद्ध दर्शन में एकमहत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।#PGDiplomainBuddhistHeritageandTourismManagement
उन्होंने सिद्धांतवाद (सुन्यता का सिद्धांत) पर अपने विचारों का निर्माण किया, जिसे "शून्यवाद" भी कहा जाता है।यह सिद्धांत कहता है कि सभी धार्मिक और दार्शनिक विचारों के पीछे अंततः शून्यता ही है, ( #StudyatNNM ) जो सर्वत्र व्याप्त है और सर्वत्र स्थिर रहती है।
आचार्य नागार्जुन के मुताबिक, हमारी समझ और विचारधारा में एक अविच्छिन्न सत्य या मूल तत्व नहीं है, बल्कि सब कुछ संबंधित और परस्पर अव्यवस्थित है।
नागार्जुन के द्वारा प्रस्तुत किए गए शून्यवाद के विचारों का मुख्य उद्देश्य दुःख के कारणों को समझना था।उनका मानना था कि हमारा सभी दुःख उत्पन्न होता है क्योंकि हम वस्तुओं के सत्य रूप में अनुभव नहीं करते हैं, बल्कि हम उन्हें अपनी धारणाओं, अभिप्रेती और आस्था के आधार पर मानते हैं।इसलिए, नागार्जुन के अनुसार, शून्यता का सिद्धांत हमें दुःख से मुक्ति प्रदान कर सकता है, क्योंकि यह हमारी धारणाओं को छिन्न-भिन्न करके हमें सत्य की प्राप्ति का मार्ग दिखा सकता है।
आचार्य नागार्जुन की महत्वपूर्ण रचनाएं :
- मध्यमिक प्रतिपत्ति,
- शून्यता- शास्त्र,
- विग्राहव्यवस्थापिका,
- युक्तिस्तम्भ,
- रत्नावली,
- महाप्रज्ञापरमितोपदेशशास्त्र
नागार्जुन के विचारों ने बौद्ध दर्शन को अग्रणी बनाया और अनेक दर्शनशास्त्रों पर गहरा प्रभाव डाला है।उनके विचार और सिद्धांतों ने सामान्य मानविकी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।उनका सिद्धांत, जो सत्य की प्राप्ति के लिए शून्यता के प्रतिपादन पर आधारित है, आधुनिक विज्ञान और तार्किक सोच के साथ मेल खाता है।
आज भी, आचार्य नागार्जुन के विचारों की महत्वपूर्णता दर्शनिक और तार्किक अध्ययन में अटूट है और हमें सत्य की खोज में मार्गदर्शन प्रदान करती है।
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