नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

योग के वैश्विक परिप्रेक्ष्य को देखते  हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री उपेन्द्र त्यागी ने योग को आज हर व्यक्ति की आवश्यकता बताया। उन्होंने व्यक्ति के लिये 'योग' , परिवार के लिये 'उद्योग' तथा समाज के लिये 'सहयोग' का आह्वान किया। योग भारत की प्राचीन विद्या है। ऋषि पतंजलि ने इसे सुजीवन का आधार माना है। योग स्वास्थ्य का उन्नायक  है। भारत ने पूरी दुनिया को जो महत्त्वपूर्ण उपहार दिये हैं,  योग उनमें से एक है। भारत की गुरुता बनी रहे, इसके लिये हम सभी को सन्नद्ध रहना होगा।


अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में  माननीय कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि शास्त्र-वर्णित है कि योग चित्तवृत्ति का निरोध है। योग हमें आत्म से पराशक्ति की ओर ले जाता है। हममें प्रसन्नता भरता है। जीवन में सबसे बड़ा सुख स्वस्थ रहना है। योग अन्त: व बाह्य : दोनों की आनन्दानुभूति कराता है। योग के रूप में  भारत को एक ऐसी विद्या उपलब्ध है जो विश्व को आनंद व सफलता दिला सकती है। भारत रहस्यों का साधक रहा है। भारत आज भी विश्व को बहुत कुछ देने की स्थिति में है।



योग-प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम- संचालन  प्रो. सुशिम दुबे ने  किया। उन्होंने योग को एक ऐसी आवश्यकता बताया जिसके माध्यम से मनुष्य की आभा, कान्ति , स्वास्थ्य की नूतनता उपलब्ध हो सकती है। आरम्भ में प्रो.  विजय कर्ण ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया।

कार्यक्रम में डॉ. नीहारिका लाभ के अतिरिक्त नव नालन्दा महाविहार  के आचार्य,  शिक्षणेतर  जन  , शोध छात्र, अन्य छात्र तथा योग-प्रेमी  उपस्थित थे।















Comments

Popular posts from this blog

Pursuing a master's degree in philosophy at Nava Nalanda Mahavihara

नव नालंदा महाविहार का 73वां स्थापना- दिवस 20 व 21 नवम्बर को मनाया जायेगा !

Advantages of doing P.G. Diploma Course in Vipassana & Yoga