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"नालंदा की कालचक्र परंपरा" - कालचक्र तंत्र पर नीरज कुमार का व्याख्यान आयोजित

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नव नालन्दा महाविहार में कालचक्र तंत्र पर श्री नीरज कुमार का व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने की। श्री कुमार संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक हैं। #navanalandamahavihara #Neerajkumar #ministryofculture अपने व्याख्यान में  श्री नीरज कुमार ने कहा कि कालचक्र तंत्र 11 वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में लिखा गया अंतिम प्रमुख बौद्ध तांत्रिक  ग्रंथ था। इस पुस्तक ने अपनी यात्रा के पिछ्ले हज़ार वर्षों में एशिया के विभिन्न क्षेत्रों पर एक स्थाई  प्रभाव छोड़ा  है। इस तंत्र में कल्कि का आगमन एक प्रमुख विषय है। कल्कि वैश्वीकरण के प्रतीक हैं। इस तंत्र को समझने का सूत्र है - देह- मध्ये- समस्तं। लोक धातु पटल बाहरी कालचक्र से सम्बन्धित है, अध्यात्म पटल आन्तरिक कालचक्र से सम्बन्धित है। कालचक्र  तंत्र नालंदा परम्परा को समाहित करता है। यह एक संश्लेषित दर्शन है। यह आध्यात्मिक या धार्मिक एकाधिकार का दावा नहीं करता । यह तंत्र बौद्ध दर्शन में अंतिम प्रमुख कार्य था। इस तंत्र के रहस्यों को बौद्ध समाज के लिए उजागर करने में प्रसन्नता हो रही है। मेरा अनुवाद
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नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। योग के वैश्विक परिप्रेक्ष्य को देखते  हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री उपेन्द्र त्यागी ने योग को आज हर व्यक्ति की आवश्यकता बताया। उन्होंने व्यक्ति के लिये 'योग' , परिवार के लिये 'उद्योग' तथा समाज के लिये 'सहयोग' का आह्वान किया। योग भारत की प्राचीन विद्या है। ऋषि पतंजलि ने इसे सुजीवन का आधार माना है। योग स्वास्थ्य का उन्नायक  है। भारत ने पूरी दुनिया को जो महत्त्वपूर्ण उपहार दिये हैं,  योग उनमें से एक है। भारत की गुरुता बनी रहे, इसके लिये हम सभी को सन्नद्ध रहना होगा। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में  माननीय कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि शास्त्र-वर्णित है कि योग चित्तवृत्ति का निरोध है। योग हमें आत्म से पराशक्ति की ओर ले जाता है। हममें प्रसन्नता भरता है। जीवन में सबसे बड़ा सुख स्वस्थ रहना है। योग अन्त: व बाह्य : दोनों की आनन्दानुभूति कराता है। योग के रूप में  भारत को एक ऐसी विद्या उपलब्ध है जो विश्व को आनंद व सफलता दिला सकती है। भारत रहस्यों का साधक रहा है। भारत आज भी विश्व को बहुत कुछ देने

नव नालन्दा महाविहार एवं अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के बीच सहमति-ज्ञापन ( एम.ओ.यू. ) पर हस्ताक्षर किये गये

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नव नालन्दा महाविहार एवं अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ के बीच सहमति-ज्ञापन ( एम.ओ.यू. ) पर हस्ताक्षर कार्यक्रम  संपन्न हुआ। यह सहमति अकादमिक क्षेत्र में पारस्परिक शैक्षिक कार्यों, शोध- कार्यक्रमों, वैचारिक  आदान-प्रदान करने हेतु हुई ।  डॉ.  राकेश सिंह, निदेशक, अन्तरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ ने बताया कि  अन्तरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान पहले से ही बौद्ध पृष्ठभूमि पर आधारित कार्य करता रहा है। इस सहमति से उसके कार्यों को एक विशिष्ट आयाम मिलेगा।  नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.  वैद्यनाथ लाभ ने इस सहमति को भविष्यपक्षी बताया,  जिससे वैचारिकता के नये आयाम खुलेंगे। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षकों के बीच आवाजाही, कार्यक्रमों में पारस्परिक नवाचार, शोध में एक दूसरे की निष्पत्तियों का समाकलन आदि संभव होंगे।  सनातन, जैन, बौद्ध तथा अन्य सांस्कृतिक आधारों को समझने व जानने के नए बिन्दु तलाशे जा सकेंगे।  सहमति-ज्ञापन पर नव नालंदा महाविहार की ओर से रजिस्ट्रार डॉ. सुनील कुमार सिन्हा तथा अन्तरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान , लखनऊ की ओर से निदेशक डॉ. राकेश सिंह के हस्